बिहार ( Bihar lates news) बर्बादी की कगार पर है। पूरे सूबे में गांजा, चरस और अफीम की खपत सौगुना बढ़ चुकी है। कम से कम एनसीबी के आँकड़े तो यही बता रहे। पांच अप्रैल 2016 के दिन पूर्ण शराबबंदी ( Bihar Prohibition Law 2016) लागू होने के बाद भी बिहार में पीने वालों की संख्या महाराष्ट्र से ज्यादा है। फिर बापू की आड़ में इस कानून की विफलता छिपाने की कोशिश क्यों कर रहे हैं नीतीश कुमार (Nitish Kumar). सच्चाई ये है कि उनका समर्थन कर रही भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) (Bhartiya Janata Party), Jitan Ram Manjhi की Hindustani Awam Morcha (HAM) और VIP पार्टी के नेता Mukesh Sahni भी इस कानून पर उंगली उठा चुके हैं। पुलिस दबाव में शराब कुरियर को तो अंदर कर रही है लेकिन माफिया माल बटोर रहे हैं। गांवों में पुलिस-पब्लिक भिड़ंत आम हो गई है। बिहार पुलिस स्टेट की तरफ बढ़ रहा है।